
गिलोय को आयुर्वेद में बेहतरीन एंटीबायोटिक माना गया है। वैज्ञानिकों के अनुसार इसमें वसा, एल्कोहल, ग्लिसरोल, अम्ल व उडऩशील तेल होते हैं। इसकी पत्तियों में कैल्शियम, फॉस्फोरस और तने में स्टार्च पाया जाता है। वायरस की दुश्मन गिलोय संक्रमण रोकने में सक्षम होती है। रोजाना गिलोय की 20 ग्राम मात्रा ली जा सकती है।
गिलोय का नियमित प्रयोग सभी प्रकार के बुखार, फ्लू, पेट के कीड़ों, एनीमिया, निम्न रक्तचाप, हृदय रोग व टीबी, एलर्जी, डायबिटीज आदि से बचाता है।
गिलोय के दो पत्तों को ज्वार के साथ पीसकर पानी में मिला लें और छानकर इस रस को सुबह व शाम को लेने से कैंसर के मरीजों को लाभ होता है। साथ ही जिन लोगों को सूजन की समस्या हो वे भी इस रस का प्रयोग कर सकते हैं। इसकी चार इंच टहनी को अदरक की तरह कूटकर एक गिलास पानी में रात को भिगो दें। सुबह इस पानी को छानकर पी लें। बची हुई गिलोय को फिर से एक गिलास पानी में डाल दें और शाम को इसे छानकर पी लें। इससे मोटापा, डायबिटीज, जोड़ों के दर्द और किडनी के रोगों में लाभ होता है।
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